महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार
महिला बाल विकास

कोष के कार्य:

अपने उद्द्येश्यों को बढ़ाने के लिए कोष मिम्नलिखित कार्य करता है :-

  1. कोष आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए महिलाओं के लिए प्रयास करेगा। यह ऋण वितरण से आगे जाने का प्रयास करेगा और गरीब महिलाओं की ज़रूरतों के आस-पास केंद्रित समेकित विकास के लिए सेवाएं प्रदान करता रहेगा।
  2. जबकि मिश्रित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऋण प्राविधान आवश्यक है, ऐसे ऋण मुख्यतः उत्पादन और आर्थिक गतिविधि से जोड़े जायेंगे।
  3. गरीब महिलाओं तक पहुंचने के लिए उपयुक्त वितरण तंत्र अभिकल्पित करने के लिए अधिक अभिनव और परीक्षण की सुविधा और सहायता प्रदान करने हेतु वातावरण सृजित करना।
  4. अनुसन्धान का प्राविधान करना, जिसका प्राथमिक कार्य भागीदारी कार्रवाई अनुसन्धान और विश्लेषण का पता लगाना/सुविधा प्रदान करना और निष्टादित करना होगा, जिसके आधार पर नीति अनिवार्यता और कार्रवाई (विधायन सहित) का पता लगाया जा सके और औपचारिक प्रणाली में व्यवधानों को दूर करने के प्रयास किये जाएँ।
  5. व्यक्तिशः महिलाओं के लिए साक्षरता और कौशल प्रशिक्षण, आत्म प्रबंधन आदि के लिए समूहों में नेतृत्व प्रशिक्षण के साथ-साथ ऋण प्रबंधन की शिक्षा को ऋण प्रदान करने के साथ समेकित किया जायेगा।
  6. प्रत्यक्ष दूरी, प्रक्रियाओं के सरलीकरण, ऋणों और वसूली के लिए उपायों के लचीलापन और उपयोग बढ़ाने के लिए अन्य अनुकूल नियमों के सम्बन्ध में गरीब महिलाओं की ऋण तक पहुंच को सुधार जायेगा।
  7. अनेक सहायता सेवाओं (आर्थिक और सामाजिक) का प्राविधान, जिससे कि महिलाएं गरीबी और अधिकारहीनता से पैदा हुई समस्याओं की जटिलता और अभावों से उक्त और पहले से प्रवर्तमान सेवाओं के माध्यम से स्वयं समाधान निकाल सकें।
  8. महिलाओं की व्यक्तिशः आवश्यकताओं के अनुरूप पर्याप्त, यथासमय, नियमित लचीले ऋण आदानों (इनपुट्स) का प्राविधान जो मौसमी और गरीब महिलाओं के काम और व्यवसायों की विविधता के लिए अनुमति देता है।
  9. निर्णय लेने हेतु महिलाओं की प्रभावी पहुंच प्रदान करने के लिए जमीनी स्तर समाजों और संगठनों तथा अन्य भागीदारी संरचनाओं को प्रोत्साहित करना और उनकी सहायता करना।
  10. अपने कार्यकरण में एक नीति और वकालती आयाम प्राप्त करना, जो उपर्युक्त सभी पर आधारित है, और जो औपचारिक प्रणाली में संशोधन के लिए एक आधार प्रदान करेगा।
  11. महिलाओं और क्रेडिट/बैंकिंग प्रणालियों के बीच संचार के प्रभावी चैनलों का विकास करना ताकि क्रेडिट/बैंकिंग प्रणालियां गरीब महिलाओं की निजी प्राथमिकताओं और बाधाओं के अनुरूप अपनी प्रणालियों को परिवर्तित कर सकें।
  12. सरल वैकल्पिक प्रणालियों की ज़रूरतों की पारंपरिक क्रेडिट प्रणालियों में व्यापक सराहना की वकालत करना और गरीबों तक पहुँचने में सामाजिक ऋण लागत पर पुनर्विचार करना।
  13. गरीब महिलाओं को ऋण देने के विषय में सूचना और अनुभवों के प्रसार के लिए सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों के बीच एक तंत्र की स्थापना करना।
  14. क्षेत्रीय स्तरों पर प्रशिक्षण, परियोजना निर्माण और आवश्यकताओं के मूल्यांकन का पता लगाना और एक संसाधन भंडार (डेटा) बनाना ताकि दूरदराज के क्षेत्रों में भी सेवाओं को पहुंचाने को प्रोत्साहित किया जा सके।
  15. सरकारों, सार्वजनिक और निजी दानदाताओं और अन्य विकास एजेंसियों- सरकारी और गैर-सरकारी, दोनों से कई स्तरों पर संसाधन जुटाने के लिए प्रयास करना।
  16. स्वैच्छिक संगठनों को प्रेरित करना।
  17. महिलाओं की भलाई में संलग्न अन्य ऋण और विकास एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित करना।
  18. बैंकों/व्यक्तियों/संस्थाओं और संगठनों आदि, जो महिलाओं के आर्थिक उत्थान के लिए प्रोत्साहन और विकास गतिविधियों में लगे हुए हैं, को ऋण/गारंटियां सहित मौद्रिक और अन्य सहायता प्रदान करना।
  19. अन्य संगठनों की सदस्यता लेना, अथवा अंशदान करना अथवा उनके साथ सहयोग करना जिनके लक्ष्य पूर्णतया अथवा आंशिक रूप से कोष के समरूप हों।
  20. उधार, निधिवृद्धि अथवा सुरक्षण से जुडी राशियों का भुगतान इस प्रकार किया जाना जो कोष उचित मानता हो अथवा जो उक्त उद्द्येश्यों को बढ़ाने में सुविधाजनक हो और विशेषतः कोष के बांड, डिबेंचर, बिल ऑफ एक्सचेंज, प्रामिसरी नोट या अन्य दायित्व या प्रतिभूतियां और ऐसी बाध्यताओं या प्रतिभूतियों की खरीद, पुनर्खरीद अथवा भुगतान करना।
  21. कोष के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए अनुदान, दान और अंशदान स्वीकार करना और देना।
  22. कोष के उद्देश्यों और गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए कोई चल या अचल संपत्ति, जो कोष के लिए फायदेमंद हो, खरीदना, एक उपहार के रूप में स्वीकार करना अथवा अन्य प्रकार सेअधिग्रहीत करना,स्थाई अथवा अस्थायी रूप से पट्टे पर या किराये पर लेना और उसे उसी प्रकार से डील करना।
  23. ऐसे सभी काम करना और उनका समर्थन करना जो कोष के सभी अथवा किसी उद्देश्य (श्यों) को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है/हैं या हो सकता/सकते है/हैं, इससे जुड़े हों या इसके अनुकूल हों।

 

 

सूचना पट्ट

चर्चा में

  • आरएमके और महिला ई-हाट के नेटवर्क के विस्तार के लिए आउटरीच कमेटी का गठन   और उनकी क्षमता-निर्माण योग्यता।
  • आरएमके का पुनरीक्षित ऋण दिशा निर्देश
  • एनजीओ दर्पण पोर्टल


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